बुधवार, 7 अक्तूबर 2009

वाह रे ! राष्ट्रिय नाम देखे कितना करेगा काम !

भारत सरकार ने गंगा की डालफिन को राष्ट्रिय जलजीव घोषित कर दिया है। इसके फहले गंगा को राष्ट्रिय नदी घोषित किया गया था। मगर इस तरह राष्ट्रिय घोषित करने से होगा क्या ? इससे पहले भी सरकार ने मोर को राष्ट्रिय पक्षी , बाघ को राष्ट्रिय पशु घोषित किया , उनके संरक्षण के लिए तमाम योजनाये चलायी । मगर फायदा क्या हुआ ? बाघ दिनों दिन कम हो रहे है , मोर १९४९ की तुलना में आधे ही बचे है । गंगा की तो बात ही क्या करे जबसे राष्ट्रिय नदी शायद ही सरकार ने कोई ध्यान देने वाला काम किया हो ! मुझे तो ये समझ में नही आता की आखिर सरकार राष्ट्रिय शब्द जोड़कर अपनी जबब्दारियो से मुह क्यो मोड़ना चाहती है ? अगर वास्तव में सरकार को इनके लिए कुछ करना है तो सबसे पहले लोगो को जागरूक बनाना होगा । मैंने ख़ुद अपने कालेज के ज़माने मेंनौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य के द्वारा आयोजित वन्यजीव संरक्षण सप्ताह प्रतियोगिताओ में भाग लिया और कई पुरूस्कार भी जीते मगर वह वन अधिकारियो का वन और वन्यजीवों के प्रति रवैया देखकर पता चला क्यो सरकार की ये योजनाये फेल हो जाती है ।
सरकार अगर वाकई इन हमारी प्राकृतिक धरोहरों के प्रति गंभीर है तो उसे सबसे पहले अपने विभागों का नजरिया और कार्य पद्धति बदलनी होगी ।

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ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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