मंगलवार, 8 सितंबर 2009

भारत भी बन सकता है , शत प्रतिशत साक्षर !!

आज यानि ८ सितम्बर को विश्व साक्षरता दिवस है । आज का दिन हमें सोचने को मजबूर करता है , की हम क्यो १०० % साक्षर नही है ? यदि केरल को छोड़ दिया जाए तो बाकि राज्यों की स्थिति बहुत अच्छी नही कह जा सकती है । सरकार द्वारा साक्षरता को बढ़ने के लिए सर्व शिक्षा अभियान, मिड दे मील योजना , प्रोढ़ शिक्षा योजना , राजीव गाँधी साक्षरता मिशन आदि न जाने कितने अभियान चलाये गये , मगर सफलता आशा के अनुरूप नही मिली । मिड दे मील में जहाँ बच्चो को आकर्षित करने के लिए स्कूलों में भोजन की व्यवस्था की गयी , इससे बच्चे स्कूल तो आते है , मगर पढने नही खाना खाने आते है । शिक्षक लोग पढ़ाई की जगह खाना बनवाने की फिकर में लगे रहते है । हमारे देश में सरकारी तौर पर (वास्तव में ) जो व्यक्ति अपना नाम लिखना जानता है , वह साक्षर है । आंकड़े जुटाने के समय जो घालमेल होता है , वो किसी से छुपा नही है । अगर सही तरीके से साक्षरता के आंकडे जुटाए जाए तो देश में ६४.९ % लोग शायद साक्षर न हो । खैर अगर सरकारी आंकडो पर विश्वास कर भी लिया जाए तो भारत में ७५.३ % पुरूष और ५३.७ % महिलाये ही साक्षर है । मगर सच्चाई इससे अलग है । (ये आंकड़े साक्षरता के है , न की शिक्षित लोगो के नही है )
चलिए सरकार की खामिया बहुत है , जब सरे कुएं में भंग हो तो किसे दोष दे ?
अब बात करते है , की भारत १०० % साक्षर कैसे बने ? भारत में सबसे ज्यादा विश्वविद्यालय है । हमारे देश में हर साल लगभग ३३ लाख विद्यार्थी स्नातक होते है । उसके बाद बेरोजगारों की भीड़ में खो जाते है ! (अगर किस्मत या पैसे वाले न हो तो ) मेरे अनुसार हम हर साल स्नातक होने वाले विद्यार्थियो का सही उपयोग साक्षरता को बढ़ने में कर सकते है । स्नातक के पाठ्यक्रम में एक अतिरिक्त विषय जोड़ा जाए , जो सभी के लिए अनिवार्य हो । इस विषय मे सभी chhatro को एक व्यक्ति को साक्षर बनने की jababdari लेनी होगी । shikshako के द्वारा इसका mulyankan किया जाएगा । अन्तिम वर्ष मे mulyankan के aaadhar पर anksoochi मे इसके ank भी जोड़े जाए । इससे हर साल लगभग ३३ लाख लोग साक्षर होंगे । वो भी बिना किसी सरकारी kharch के !
इस vyawstha का ये फायदा होगा की , सरकार का bahumulya पैसा तो bhachega ही sath ही chhatro को uttardyitv की भावना भी utpan होगी ।
maaf कीजिये takniki gadbadi के karan मैं इस lekh को यही samapt करने को मजबूर हूँ ।

1 टिप्पणी:

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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