शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

कभी बाढ़ कभी सूखा , भारत भूखा का भूखा

नमस्कार दोस्तों,
देर के लिए क्षमा चाहता हूँ। दरअसल मैं इन दिनों में बिहार ,बंगाल, उडीसा और आन्ध्र परदेस की सैर पर था । इन राज्यों की सैर में मैंने अतुल्य भारत की असली छवि देखि । जहाँ आंध्र की चमक देखि वही उडीसा की उधासी भी आँखों में आंसू लेन के लिए काफी थी । बिहार में बदलाव की आहात सुनी तो आमार सोनार बांगला भी देखा । चिल्का झील की विराटता देखि विशाखापत्तनम में जीवन में पहली बार सागर दर्शन भी किया । दोस्तों , अभी वरिश का मौसम चल रहा है , लेकिन देश के २५० से ज्यादा जिलो में सूखा फैला है । जमीन में पड़ी दरारों को देख कर किसानो की छाती फट पड़ने को आतुर है , आँखों में पानी हाई मगर आसमान सूना है । ये कहर कम नही था , रही सही कसार महंगाई ने पुरी कर दी । दाल १०० रूपये किलो बिकी तो शक्कर ४० रूपये किलो । देश के कुछ इलाको में पानी इतना गिरा की sailab सब कुछ भा ले gya । बिहार के ३८ में से 26 सूखा grast है तो baaki १२ baadhgrast है । हाँ वरिश पर मेरी कविता "pahli fuhaar " hind yugm के july के padcast kvi sammelan में jarur सुने ।
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रविवार, 16 अगस्त 2009

देशभक्ति से बस इतना नाता है, दीवालों पे लिख देते है दिवाली में पुत जाता है

नमस्कार
तो कल आप सभी ने जम कर स्वतंत्रता दिवस की खुशियाँ मनाई, है न ! मगर आज मैंने जब सड़के और गलियां देखि तो दिल रो उठा । जी हाँ जिस तिरंगे झंडे की शान में कल अखबारों, टी० वी० और रेडियो में कई नगमे , तराने गए जा रहे थे । आज हालत-ऐ-बयाँ कुछ और थी । जी हाँ सडको , नालियो और जाने कहाँ -कहाँ हमारे देश की आन बान और शान तिरंगा पड़ा हुआ था । जी हाँ , कल अभिवावकों ने अपने बच्चो को तिरंगे तो खरीद के ले दिया , मगर उसकी इज्ज़त करना उन्हें नही बताया । उन्हें ये नही बताया की इस तिरंगे की खातिर हमारे देश के लोगो ने कितनी कुर्बानिया दी है। ये हमारे देश का प्रतीक है । हमें इस पर नाज़ होना चाहिए ।
हर साल हम जोर शोर से १५ अगस्त और २६ जनवरी मानते है ,मगर दूसरे दिन नालियो सडको पर हजारो कागज और पोलीथिन के तिरंगे फटे हुए बेकार हालत में मिल जाते है । क्या हम अपने देश की इस आन की रक्षा नही कर सकते है ?
मेरा आप सभी से अनुरोध है की तिरंगे को इस हाल से बचने के लिए आप और हम मिलकर कुछ कदम उठा सकते सकते है । :-
* बच्चो को तिरंगे की अहमियत के बारे में बताये ।
* बच्चो को तिरंगे और स्वंतंत्रता की कहानिया सुनाये ।
* हो सके तो कागज या पोलीथिन की जगह कपड़े का तिरंगा ख़रीदे , जो न केवल ज्यादा दिन चलेगा बल्कि उसका अपमान भी होने की कम सम्भावना है ।
* आप इस बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगो को बताये , की भारतीय राष्ट्र ध्वज के अपमान से सम्बन्धी ध्वज संहिता बनी है । उल्लंघन प्र सजा हो सकती है

शनिवार, 15 अगस्त 2009

न बिजली न पानी , फ़िर भी खुश हम हिन्दुस्तानी !!

जय हो ,
भारत भाग्य बिधाता !!
आप सभीको देश की स्वतंत्रता की ६३ वी वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाये ?!!
भाई सब कह रहे है तो हमने भी कह दिया । ऐसा नही की हमें देश से प्यार नही है , देश के लिए मेरा दिल बेकरार नही है । फ़िर आप सोच रहे होंगे की मैं ऐसा क्या कह रहा हूँ ? अरे भाई इन ६२ सालो में हमने अपने देश के लिए क्या किया है , जो हम आज देश भक्ति का झंडा आज बुलंद किए है । आप कहेंगे की की देश ने बहुत तरक्की कर ली है । अमाँ मिया ये तो सबको मालूम है , मगर ईमानदारी से दिल पर हाथ रख कहिये आप ने अपनी और से देश के लिए क्या किया है ? कभी देश में फैले भ्रस्ताचार के खिलाफ आवाज़ उठाई है , जब आपका कोई स्वार्थ नही था ? कभी किसी अनपढ़ को पढ़कर देश में साक्षरता की दर बढ़ाने में कोई मदद की है ? या कभी किसी को कोई ग़लत काम करते हुए रोका है ,जब वो या उससे पीड़ित आपका कोई pahchan wala नही था ? ऐसे dhero swal खड़े है ? फ़िर इन्हे सोचे और कुछ करे देश के लिए तभी सही azadi का utsav होगा । ये मेरे विचार है vicharo से jarur avgat karaye ।
जय hind

orchha gatha

बेतवा की जुबानी : ओरछा की कहानी (भाग-1)

एक रात को मैं मध्य प्रदेश की गंगा कही जाने वाली पावन नदी बेतवा के तट पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बैठा हुआ. बेतवा की लहरों के एक तरफ महान ब...