रविवार, 26 अप्रैल 2009

परिचय ; बुंदेलखंड

दोस्तों ,
बुंदेलखंड एक भाषाई क्षेत्र है । जो दो राज्यों के कुछ जिलो में फैला हुआ है । म० प्र० के सागर , दमोह , छतरपुर, टीकमगढ़ , पन्ना , दतिया, गुना, नरसिंगपुर जिले तो उ० प्र० के झाँसी, ललितपुर , महोबा, उरई , जालौन, आदि जिलों में विस्तृत है । बुंदेलखंड नाम जो प्राकृतिक रूप में एक पत्थर ही लेकिन हम भाषाई बुंदेलखंड की बात कर रहे है वो कुछ भाग विंध्यांचल की खूबसूरत पहाडियों के बीच बसाहुआ है । इन पहाडियों से अनेक छोटी बड़ी नदिया निकलती है । जिनमे प्रनुख रूप से - बेतवा , केन, सोनार, धसान , बीना , बेबस आदि है । बेतवा नदी के किनारे विश्व प्रसिद्द स्थल "ओरछा " स्थित है । ओरछा में रामराजा का मंदिर जगत विख्यात है । कहते है की यंहा जो मूर्ती है वह ओरछा की महरानी अपने सपने के आधार पर खुद अयोध्या से लाई थी । विश्व में सिर्फ यंही भगवान् राम रजा के रूप में पूजे जाते है ।
छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो के मंदिर भी विश्वविख्यात है , अपनी अद्भुत शिल्प के लिए विख्यात इन मंदिर समूहों का निर्माण ९ वी सदी से १० वी सदी में चंदेल वंश के राजाओ ने करवाया था। यंहा के मंदिरों की बाहरी दीवारों पर बहुत ही सुन्दर ढंग से सती - पुरुष और देवी देवताओ के कामुक रूप में आकृतियाँ उकेरी गस्यी है । इनका शिल्प देखते ही बँटा है । इन मंदिर समूहों में हिन्दू और जैन धर्मं के मंदिर है । सबसे बड़ा मंदिर कंदरिया महादेव का मंदिर है । ।
ओउद्यिगिक रूप से पिछडे इस क्षेत्र में हाल ही में सागर जिले के बीना जंक्शन के पास आगासौद में तेल रिफानरी लगाई गयी है। सागर में स्थित हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय जो म०प्र० का सबसे पुराना और बड़ा विश्वविद्यालय है , अब केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में परिणित किया गया है । इस विश्वविद्यालय की स्थापना प्रसिद्द वकील , संविधानविद और मनीषी डॉ हरी सिंह गौर ने १८ जुलाई १९४६ में की थी । ये एक ही व्यक्ति के दान से बना विश्वा का एकलौता उद्धरण है । आज ये अपनी शिक्षा के के कारन देश विदेश में विख्यात है । आचार्य रजनीश ओशो , अशोक वाजपेयी जैसे विद्यार्थियों को देने वाला विश्वविद्यालय आज भी अपनी परंपरा को जीवित किये हुए है।
सागर जिले में ही गुप्त कालीन स्थल airan है, जिसने गुप्त वंश की अनेक गुथियो को सुलझाया है। यहाँ मिली वराह प्रतिमा प्राचीन भारतीय इतिहास की अनमोल धरोहर है। airan से hee ५ वी सदी के abhilekh mile है जिनमे satee pratha का ullekh है । ये bahrat में satee prathaa के सबसे purane pramaan है।
mitro iske alawa भी bhut कुछ है है बुंदेलखंड में जो kisi को भी aakarshit कर sake , जैसे janshi की rani । नाम तो sunaa ही hoga haan bhai wahi jise subhadra kumaari chaohaan ने kaha है -
khoob ladi mardni थी, वो झाँसी wali rani थी .

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